हाल ही में आरबीआई ने निर्देश दिए हैं कि अब हर 15 दिन में क्रेडिट रिपोर्ट अपडेट होगी। इसके पीछे कई कारण है । डिजिटल युग में वित्तीय स्थिरता बनाए रखना बहुत जरूरी हो गया है। क्रेडिट रिपोर्ट उपभोक्ताओं की वित्तीय स्थिति का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, क्योंकि इससे उनकी क्रेडिट योग्यता (creditworthiness) का मूल्यांकन किया जाता है। पहले, क्रेडिट रिपोर्ट का अपडेट साल में कुछ ही बार होता था, लेकिन अब इसे बार-बार अपडेट किया जाता है। आइए जानें कि उपभोक्ताओं के लिए क्रेडिट रिपोर्ट के बार-बार अपडेट होने के क्या मुख्य लाभ हैं और इसकी जरूरत क्यों पड़ी।
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क्रेडिट रिपोर्ट में बैंक / NBFC (उधारदाता) आखिर क्या देखते हैं?
क्रेडिट रिपोर्ट में उधारदाता क्या देखते हैं?
बिंदु | क्या होता है? | क्या देखते हैं? | परिणाम |
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क्रेडिट स्कोर | 300 से 900 के बीच का स्कोर जो क्रेडिट योग्यता दर्शाता है। | क्या स्कोर 750+ है? | 750+ स्कोर होने पर लोन स्वीकृति की संभावना अधिक होती है। |
पेमेंट हिस्ट्री | लोन और क्रेडिट कार्ड भुगतान का रिकॉर्ड। | क्या भुगतान समय पर हुआ या डिफॉल्ट हुआ? | समय पर भुगतान करने वालों को विश्वसनीय माना जाता है। |
क्रेडिट उपयोग अनुपात (CUR) | क्रेडिट कार्ड की कुल लिमिट के मुकाबले खर्च की गई राशि। | क्या उपयोग अनुपात 30% से कम है? | 30% से कम CUR अच्छा माना जाता है, ज्यादा होने पर जोखिम बढ़ जाता है। |
अधिगृहित ऋणों की संख्या | कुल चल रहे लोन और क्रेडिट कार्ड। | कितने लोन और क्रेडिट कार्ड सक्रिय हैं? | बहुत अधिक क्रेडिट अकाउंट होने से उधारदाता सतर्क हो सकते हैं। |
कुल बकाया ऋण | सभी लोन और क्रेडिट कार्ड का बकाया भुगतान। | बकाया राशि कितनी है? | अधिक बकाया ऋण होने पर नया लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है। |
क्रेडिट इतिहास की अवधि | कितने वर्षों से क्रेडिट अकाउंट सक्रिय हैं। | क्रेडिट इतिहास कितने वर्षों का है? | लंबा क्रेडिट इतिहास अधिक विश्वसनीय माना जाता है। |
क्रेडिट मिक्स | विभिन्न प्रकार के लोन और क्रेडिट कार्ड का संतुलन। | सेफ (होम लोन) और रिस्की (पर्सनल लोन) का संतुलन? | विविधता होने से स्कोर बेहतर रहता है। |
हार्ड इंक्वायरी की संख्या | नए लोन/क्रेडिट कार्ड के लिए किए गए आवेदन। | पिछले 6-12 महीनों में कितनी हार्ड इंक्वायरी हुई? | ज्यादा हार्ड इंक्वायरी से स्कोर गिरता है। |
डिफॉल्ट और NPA रिकॉर्ड | अगर कोई लोन बहुत समय से बकाया है। | क्या किसी लोन को डिफॉल्ट या NPA घोषित किया गया? | डिफॉल्ट होने से लोन स्वीकृति मुश्किल हो सकती है। |
सेटलमेंट या राइट-ऑफ | जब लोन पूरा न चुकाने पर बैंक कुछ रकम माफ कर देता है। | क्या सेटलमेंट या राइट-ऑफ का इतिहास है? | सेटलमेंट/राइट-ऑफ होने से लोन मिलने में दिक्कत आ सकती है। |
क्रेडिट रिपोर्ट को बार-बार अपडेट करने की जरूरत क्यों पड़ी?
क्रेडिट रिपोर्ट के बार-बार अपडेट होने के मुख्य लाभ
निष्कर्ष
क्रेडिट रिपोर्ट का बार-बार अपडेट होना उपभोक्ताओं के लिए एक बहुत बड़ी सुविधा है। इससे उन्हें अपने क्रेडिट स्कोर को ट्रैक करने, धोखाधड़ी से बचने और वित्तीय निर्णय बेहतर तरीके से लेने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह उधारदाताओं (lenders) के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि वे अधिक सटीक और नवीनतम जानकारी के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। इसलिए, उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को नियमित रूप से चेक करें और अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाएं।