New UPI Payment System : ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड के बढ़ते मामलों ने न केवल आम जनता को चिंता में डाल दिया है, बल्कि NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) और RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) भी इसे लेकर गंभीर हैं। ऑनलाइन पेमेंट को सुरक्षित और सरल बनाने के लिए NPCI ने एक नई योजना पर काम करना शुरू किया है, जिसके तहत UPI पिन पासवर्ड की जगह अब बायोमेट्रिक आधारित पेमेंट सिस्टम लाया जाएगा। इसका उद्देश्य पेमेंट प्रोसेस को और अधिक सुरक्षित बनाना है ताकि फ्रॉड के मामले घटाए जा सकें।



कब तक हो सकता है यह बदलाव?
रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले 3 महीनों में NPCI बायोमेट्रिक आधारित UPI पेमेंट सिस्टम को रोलआउट करने की योजना बना रहा है। इसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है और विभिन्न बैंकों व फिनटेक कंपनियों से बातचीत जारी है। एक बार यह सुविधा उपलब्ध हो जाने पर, UPI यूजर्स फेस स्कैन या फिंगरप्रिंट के जरिए पेमेंट कर पाएंगे, जिससे ऑनलाइन पेमेंट की सुरक्षा कई गुना बढ़ जाएगी।

सारांश:
इस बदलाव का सीधा असर UPI यूजर्स पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें अब पिन की जगह अपनी बायोमेट्रिक पहचान का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि, यह अधिक सुरक्षित और आधुनिक तरीका साबित हो सकता है, जिससे डिजिटल पेमेंट्स में विश्वास और सुरक्षा दोनों बढ़ेंगे।
NPCI और RBI के इस निर्णय से न केवल ऑनलाइन पेमेंट को सुरक्षित बनाया जाएगा, बल्कि भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन का अनुभव भी बेहतर और आसान हो जाएगा।
FAQs: क्रेडिट कार्ड से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन क्या होता है ?
बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति की पहचान को उसकी अनोखी शारीरिक या व्यवहारिक विशेषताओं के आधार पर सत्यापित करती है। इसमें मुख्य रूप से फिंगरप्रिंट, फेस स्कैन, रेटिना स्कैन, वॉइस रेकग्निशन और हाथों की नसों के पैटर्न जैसे पहलुओं का उपयोग किया जाता है।
2. बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन कैसे काम करता है?
- डेटा कैप्चर: सबसे पहले, बायोमेट्रिक सिस्टम किसी व्यक्ति की शारीरिक या व्यवहारिक विशेषता जैसे फिंगरप्रिंट या फेस को स्कैन करके उसका डेटा कैप्चर करता है।
- डेटा प्रोसेसिंग: इस कैप्चर किए गए डेटा को डिजिटल रूप में बदलकर सिस्टम में संग्रहीत किया जाता है। इसे सुरक्षित रूप से एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में रखा जाता है।
- डेटा मैचिंग: जब व्यक्ति दोबारा सिस्टम का उपयोग करता है, तो उसकी बायोमेट्रिक जानकारी को पहले से संग्रहीत डेटा से मिलाया जाता है। अगर यह डेटा मेल खाता है, तो व्यक्ति को सत्यापित कर दिया जाता है।
3. बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के प्रकार
- फिंगरप्रिंट स्कैनिंग: इसमें व्यक्ति के उंगलियों के निशानों का उपयोग किया जाता है। यह सबसे आम और सुलभ बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन तरीका है।
- फेस रेकग्निशन (चेहरे की पहचान): इस तकनीक में चेहरे के ढांचे और विशेषताओं को स्कैन करके पहचान की जाती है। कई स्मार्टफोन्स और कंप्यूटर में इसका उपयोग हो रहा है।
- रेटिना या आईरिस स्कैनिंग: इसमें आंखों के रेटिना या आईरिस का पैटर्न स्कैन किया जाता है। यह सबसे अधिक सुरक्षित और सटीक बायोमेट्रिक विधियों में से एक है।
- वॉइस रेकग्निशन: व्यक्ति की आवाज़ का पैटर्न और टोन विश्लेषण करके पहचान की जाती है। इसका उपयोग वॉइस असिस्टेंट और बैंकिंग में किया जा रहा है।
- हाथ की नसों का पैटर्न: इसमें व्यक्ति के हाथों की नसों के पैटर्न को स्कैन करके पहचान की जाती है। यह बेहद सटीक होती है और फिंगरप्रिंट की तुलना में भी अधिक सुरक्षित मानी जाती है।
4. बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के लाभ
- सुरक्षा: बायोमेट्रिक डेटा अनोखा होता है, इसलिए इसका दुरुपयोग करना कठिन है। यह पासवर्ड या पिन की तुलना में अधिक सुरक्षित होता है।
- सुविधा: बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन त्वरित और आसान होता है। पासवर्ड याद रखने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि पहचान के लिए आपकी शारीरिक विशेषता ही पर्याप्त है।
- कम समय में सत्यापन: बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के जरिए कुछ ही सेकंड्स में व्यक्ति की पहचान की जा सकती है, जिससे समय की बचत होती है।
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