Life Time Free Credit Card phir Bank kamate kese h ? अगर आपको लग रहा है कि क्रेडिट कार्ड फ्री में मिल रहा है, तो ज़रा रुकिए! क्योंकि पीछे चल रहा है “गजब का खेल”। क्रेडिट कार्ड कंपनी आपसे ऐसे-ऐसे तरीकों से पैसे बनाती है जो शायद आपने कभी सोचे भी नहीं होंगे। तो चलिए जानते हैं – वो 19 धंधेबाज़ तरीके जिनसे ये कंपनियां कमाई करती हैं:
Table of Contents
1. तगड़े ब्याज की पेनाल्टी

क्रेडिट कार्ड कंपनियां उन लोगों पर भारी-भरकम ब्याज लगाती हैं, जो अपना बकाया चुकाने से चूक जाते हैं. क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला ब्याज भी 30 फीसदी से लेकर 50 फीसदी के बीच हो सकता है. ऐसे में कंपनियां एक-दो महीने में ही पूरे साल की कमाई कर सकती हैं.
2. EMI या Loan लेते ही लगती है प्रोसेसिंग फीस

कई बार लोग EMI पर कुछ तरह के प्रोडक्ट खरीदते हैं या फिर अपने बकाया या किसी ट्रांजेक्शन को EMI में बदला लेते हैं. हर ट्रांजैक्शन, हर EMI पर छोटी सी प्रोसेसिंग फीस – यही बनती है कंपनी की स्थायी कमाई। इससे भी कंपनियों को ब्याज मिलता है, जो उनकी कमाई का एक जरिया होता है.
3. क्रेडिट कार्ड पर पर्सनल लोन = कंपनी की स्मार्ट कमाई

क्रेडिट कार्ड कंपनियों की तरफ से यूजर्स को आकर्षक दरों पर लोन भी ऑफर किया जाता है. “इंस्टैंट लोन” के नाम पर बैंक आपसे मोटा ब्याज वसूलते हैं। आपको लगता है जल्दी मिल गया, लेकिन वो ब्याज साल भर में दोगुना हो सकता है। इस लोन से भी कंपनियों को ब्याज मिलता है, जिससे उनकी कमाई होती है.
4- प्रोसेसिंग फीस

जब भी लोग अपनी किसी ट्रांजेक्शन को ईएमआई में बदलवाते हैं या फिर कोई लोन लेते हैं, तो उस पर एक प्रोसेसिंग फीस चुकानी होती है. यह भी क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का एक जरिया होता है.
5. ATM Case Withdrawal fee
क्या आपने कार्ड से कैश निकाला है? हाँ, तो हो जाता है उसी दिन से ब्याज चालू!

क्रेडिट कार्ड का एक फीचर ये भी होता है कि उसके जरिए आप एटीएम से कैश निकाल सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2022 में लोगों ने हर महीने 300-400 करोड़ रुपये क्रेडिट कार्ड से निकाले थे. इस कैश को जिस दिन ग्राहक निकालता है, उसी दिन से उस पर भारी-भरकम ब्याज लगना शुरू हो जाता है, जिससे क्रेडिट कार्ड कंपनियां पैसे कमाती हैं
6- इंटरचेंज इनकम (MDR)
जब आप कार्ड से पे करते हैं, तो बैंक मर्चेंट से 1%-3% MDR वसूलते है। सीधा फायदा बैंक और कार्ड कंपनी को।

क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का दूसरा तरीका है इंटरचेंज इनकम. जब भी कोई ग्राहक क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करता है तो मर्चेंट पर एक मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर फीस लगाई जाती है. यह फीस ट्रांजेक्शन वैल्यू की 1-3 फीसदी के बीच होती है.
सेल में किसी खास क्रेडिट कार्ड पर कुछ खास ऑफर दिए जाते हैं. कई बार कुछ खास कंपनियों के प्रोडक्ट खरीदने पर कुछ क्रेडिट कार्ड स्पेशल ऑफर देते हैं. ऐसी कंपनियों के साथ क्रेडिट कार्ड कंपनियों का टाईअप होता है. कंपनियों की तरफ से क्रेडिट कार्ड कंपनी को हर खरीदारी पर कमीशन दिया जाता है.
7- फॉरेन ट्रांजेक्शन फीस

विदेश में कार्ड चलाया ! फॉरेन ट्रांजैक्शन फीस लग गई! विदेश में कार्ड से पेमेंट करने पर 2% से 3.5% तक चार्ज लगता है – छोटा चार्ज, बड़ा मुनाफा। अगर कोई अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल विदेश जाकर करता है, तो उस पर फॉरेन ट्रांजेक्शन चार्ज भी लगता है. इससे भी क्रेडिट कार्ड कंपनियां पैसे कमाती हैं.
8- बैलेंस ट्रांसफर फीस
किसी दूसरे कार्ड का बकाया चुकाकर EMI में बदलवाना?
तब कंपनी आपसे या तो ब्याज वसूलती है या प्रोसेसिंग फीस – आपको लगे ऑफर, पर असल में मुनाफा बैंक का।

कुछ क्रेडिट कार्ड कंपनियां बैलेंस ट्रांसफर की भी सुविधा देती हैं. इसके तहत आप अपने एक क्रेडिट कार्ड से दूसरे क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान कर सकते हैं. इसके बदले कंपनी आपसे एक चार्ज लेती है या ईएमआई बनवाने पर ब्याज भी लेती है.
9. Terms & Conditions में लिखा “अगर-लेकिन”, जिससे कैशबैक नहीं मिलता

₹500 कैशबैक ऑफर है, लेकिन 3 महीने में ₹15000 खर्च करना होगा। अगर शर्त पूरी नहीं की, तो कैशबैक बचा – और कंपनी ने पैसे बचा लिए!
10- प्रोडक्ट बेचकर

जब भी आप क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड प्वाइंट रिडीम करने जाते होंगे, वहां उन प्वाइंट्स के बदले कुछ प्रोडक्ट खरीदने के विकल्प भी आपको दिखते होंगे. इनसे भी कंपनी पैसे कमाती है.
11. कुछ कंपनियां एनुअल फीस भी लेती हैं
जब कार्ड यूज़ करो या ना करो, फिर भी देना पड़ेकई कार्ड्स सालाना फीस वसूलते हैं, जो कुछ शर्तों पर माफ होती है – नहीं हुई, तो सीधी कमाई!

कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने ग्राहकों से एक मेंबरशिप फीस भी लेती हैं. यह फीस कुछ बैंक एक निश्चित सीमा तक ट्रांजेक्शन के बाद ग्राहकों को वापस कर देते हैं, लेकिन कुछ बैंक ऐसा नहीं करते हैं. इसे कई बैंक एनुअल फीस भी कहते हैं. ऐसे में मेंबरशिप फीस भी क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का एक हिस्सा होती है. क्रेडिट कार्ड पर जितने ज्यादा बेनेफिट होते हैं, उस पर लगने वाली फीस उतनी ही अधिक होती है.
12. Joining Fee भी है hidden revenue source
कई बैंक शुरुआत में ₹500-₹2000 तक ज्वॉइनिंग फीस लेते हैं। कुछ तो इसे कैशबैक या गिफ्ट में छुपा देते हैं, लेकिन खेल वही होता है।

यह भी उनकी एक तरह की कमाई ही है. हालांकि, बहुत कम ही बैंक हैं जो ज्वाइनिंग फीस लेते हैं, अधिकतर बैंक या तो ज्वाइनिंग फीस नहीं लेते हैं या फिर उस फीस के बराबर के बेनेफिट शुरुआत में ही ग्राहकों को दे देते हैं.
13. क्या आप जानते हैं लेट पेमेंट पर कितना जबरदस्त ब्याज लगता है?
अगर आपने समय पर बिल नहीं चुकाया तो 30% से 50% तक सालाना ब्याज वसूला जाता है।
रोचक फैक्ट: भारत में क्रेडिट कार्ड का एवरेज इंटरेस्ट रेट पर्सनल लोन से 2 गुना ज्यादा होता है!
14. Co-branded cards = डबल फायदा
ब्रांड पार्टनरशिप = हर खरीद पर कमीशन
ग्राहक को ऑफर = कंपनी को फायदा!
Amazon, Flipkart, IRCTC जैसे ब्रांड्स के साथ टाई-अप करके बैंक और ब्रांड दोनों हर बार खरीदारी पर कमीशन कमाते हैं।
15. Hidden charges के नाम पर हजारों की कमाई
- Fuel surcharge
- Card replacement fee
- Duplicate bill charge
- Add-on card fee
– ये सारे छोटे-छोटे चार्ज मिलकर कंपनी की कमाई बढ़ाते हैं।
16. Upgrade ऑफर के पीछे भी कंपनी की चाल
“बेटर कार्ड लीजिए” के बहाने आपको अपग्रेड ऑफर भेजे जाते हैं – जैसे ही आप अपग्रेड करते हैं, कंपनी को कमीशन मिलता है।
17. Non-usage चार्ज या Re-Activation फीस भी होती है
अगर कार्ड लंबे समय तक यूज़ नहीं हुआ, तो कुछ बैंक Reactivation Fee लगा सकते हैं – “जो नहीं चला, उससे भी कमाई कर लो” वाली सोच!
18. SMS, Email, Reminder अलर्ट पर चार्ज?
जी हां!अगर आप लेट पेमेंट करते हैं या अलर्ट चाहते हैं, तो SMS सर्विस पर चार्ज लगाया जा सकता है। ₹5-₹15 प्रति अलर्ट भी करोड़ों में बदल जाता है।
19. No Cost EMI में खरीदारी का मतलब है छिपा हुआ खर्चा
कंपनी = मुनाफा, ग्राहक = भ्रम!
No Cost EMI नाम सुनते ही लोग खुश हो जाते हैं, लेकिन कई बार उसमें प्रोडक्ट का दाम बढ़ा होता है।
20. रिवॉर्ड प्वाइंट से गिफ्ट?
कंपनी ने उस पर भी कमाई कर ली!आपको जो रिवॉर्ड मिलता है, वो कंपनी का पहले से तय बिजनेस मॉडल होता है। रिवॉर्ड = रीटेल सेलिंग का तरीका।
21. Credit Limit बढ़ाने पर भी चार्ज :
कुछ बैंक लिमिट बढ़ाने के बदले चार्ज करते हैं – या फिर ज्यादा लिमिट देकर high interest EMI में डाल देते हैं।
निष्कर्ष:
आपको लग रहा है फ्री, पर असल में कंपनी हर कोने से कमाई कर रही है!क्रेडिट कार्ड कंपनियां इतनी चालाकी से प्लान बनाती हैं कि आपको लग रहा होता है “सस्ता सौदा”, लेकिन असल में आपकी हर एक्टिविटी से उन्हें प्रॉफिट हो रहा होता है।