Loan EMI नहीं भरने पर भी नहीं होंगे डिफॉल्टर : नया RBI नियम “Loan Restructuring”

Spread the love

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लोन धारकों को राहत देने के लिए एक नया नियम “Loan Restructuring” लागू किया है। यह नियम उन लोगों के लिए है जो समय पर EMI (समान मासिक किस्त) नहीं चुका पा रहे हैं। इस नियम के तहत, लोन रीस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) की सुविधा दी गई है जिससे लोग आर्थिक तनाव से बच सकते हैं और डिफॉल्टर नहीं बनते।

RBI का नया नियम Loan Restructuring क्या है?

RBI ICON
RBI

यदि कोई व्यक्ति अपनी लोन की EMI समय पर नहीं चुका पा रहा है, तो बैंक उसे लोन रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प दे सकता है। इसका मतलब यह है कि:

  1. EMI की राशि कम की जा सकती है – उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की मौजूदा EMI ₹50,000 है और वह इसे चुकाने में असमर्थ है, तो बैंक उसकी लोन अवधि को बढ़ाकर EMI को ₹25,000 तक कम कर सकता है।
  2. लोन की अवधि बढ़ाई जा सकती है – यह इस पर निर्भर करता है कि ग्राहक कितनी राहत चाहता है और बैंक की क्या नीति है।
  3. आर्थिक दबाव कम होता है – इस सुविधा के माध्यम से लोन धारक पर EMI का बोझ कम हो जाता है और उसे डिफॉल्टर घोषित होने से बचाया जाता है।

क्या Loan Restructuring का CIBIL स्कोर पर असर नहीं पड़ेगा

लोन रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प लेने से CIBIL स्कोर प्रभावित नहीं होता, लेकिन यह सिर्फ़ बैंक की रिपोर्टिंग प्रक्रिया पर निर्भर करता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि क्योंकि क्रेडिट स्कोर व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री और लोन भुगतान की आदतों को दर्शाता है। इसलिए जब कोई बैंक लोन देता है, तो वह सबसे पहले व्यक्ति के CIBIL स्कोर को देखता है।क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है।700 या उससे अधिक स्कोर होने पर लोन मिलना आसान होता है।समय पर EMI भुगतान करने से स्कोर बेहतर होता है।

RBI का नया नियम Loan Restructuring क्यों महत्वपूर्ण है?

  • डिफॉल्टर घोषित होने से बचाव – यदि कोई व्यक्ति अपनी EMI नहीं चुका पाता, तो उसे डिफॉल्टर घोषित किया जा सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
  • कोरोना काल के बाद बढ़ते लोन संकट का समाधान – रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना काल से पहले की तुलना में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड पर खर्च बढ़ गया है, जिससे EMI चुकाने में कठिनाई हो रही है।
  • बैंकिंग सिस्टम को स्थिर बनाए रखना – यह नियम बैंकों को नुकसान से बचाने और ग्राहकों को राहत देने के लिए लागू किया गया है।

निष्कर्ष:

RBI का यह नया नियम उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो लोन की EMI भरने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इस नियम के तहत, लोन की अवधि बढ़ाकर EMI को कम किया जा सकता है, जिससे ग्राहक को राहत मिलती है और डिफॉल्टर घोषित होने से बचाव होता है। साथ ही, इसका सीधा असर CIBIL स्कोर पर नहीं पड़ता, जिससे भविष्य में लोन लेने की संभावनाएं बनी रहती हैं।

FAQ

RBI का नया नियम क्या कहता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति समय पर अपनी EMI नहीं चुका पा रहा है, तो उसे लोन रीस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) का विकल्प मिल सकता है। इसके तहत बैंक लोन की अवधि बढ़ाकर EMI की राशि को कम कर सकते हैं, जिससे लोन धारक को राहत मिलती है और वह डिफॉल्टर घोषित होने से बच सकता है।

क्या लोन रीस्ट्रक्चरिंग से CIBIL स्कोर प्रभावित होता है?

नहीं, लोन रीस्ट्रक्चरिंग का सीधा असर CIBIL स्कोर पर नहीं पड़ता। हालांकि, बैंक इस बदलाव की रिपोर्ट क्रेडिट ब्यूरो को भेजते हैं, जिससे भविष्य में लोन लेने पर असर पड़ सकता है। लेकिन यह डिफॉल्टर घोषित होने से बेहतर विकल्प है।

कौन से लोन इस नियम के तहत आते हैं?

RBI के इस नियम के तहत पर्सनल लोन, होम लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन और बिजनेस लोन जैसी सभी प्रकार की ऋण योजनाएं आती हैं। बैंक और NBFCs (Non-Banking Financial Companies) अपने ग्राहकों को इस सुविधा का लाभ दे सकते हैं। (स्रोत: भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देश, 2024)

लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए कैसे आवेदन करें?

लोन धारकों को निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी:
1. बैंक या NBFC से संपर्क करें और अपनी आर्थिक स्थिति की जानकारी दें।
2. बैंक द्वारा दिए गए आवेदन पत्र को भरें और जरूरी दस्तावेज जमा करें।
3. बैंक द्वारा आवेदन की समीक्षा की जाएगी और आपकी नई EMI तय की जाएगी।
4. स्वीकृति के बाद लोन की अवधि बढ़ाई जाएगी और नई EMI तय की जाएगी।

क्या सभी बैंक इस योजना के तहत EMI कम करेंगे?

नहीं, यह पूरी तरह से बैंक की नीति पर निर्भर करता है। कुछ बैंक इसे लागू कर सकते हैं, जबकि कुछ बैंक अपनी आंतरिक नीति के अनुसार इसे नकार भी सकते हैं। ग्राहक को अपने बैंक से संपर्क करके जानकारी लेनी चाहिए। (स्रोत: विभिन्न बैंक नीति दस्तावेज, 2024)

लोन रीस्ट्रक्चरिंग से जुड़े कोई अतिरिक्त चार्ज लगेंगे?

हां, कुछ बैंक इस प्रक्रिया के लिए प्रोसेसिंग फीस या अन्य शुल्क ले सकते हैं। हालांकि, शुल्क की जानकारी बैंक से संपर्क करके प्राप्त की जा सकती है। (स्रोत: बैंकिंग नीतियां, 2024)

अगर लोन की EMI फिर भी नहीं भर पाएं तो क्या होगा?

यदि लोन रीस्ट्रक्चरिंग के बाद भी ग्राहअगर लोन की EMI फिर भी नहीं भर पाएं तो क्या होगा?क EMI का भुगतान नहीं कर पाता, तो उसे डिफॉल्टर घोषित किया जा सकता है। इसके बाद बैंक कानूनी कार्रवाई कर सकता है, संपत्ति जब्त कर सकता है या रिकवरी एजेंसी भेज सकता है। (स्रोत: भारतीय बैंकिंग नियमन अधिनियम, 2024)

क्या यह सुविधा केवल मौजूदा लोन पर लागू होती है या नए लोन पर भी?

यह सुविधा मुख्य रूप से मौजूदा लोन धारकों के लिए है, जो EMI चुकाने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। नए लोन के लिए इस सुविधा का लाभ सीधे तौर पर नहीं मिलता। (स्रोत: RBI सर्कुलर, 2024)

क्या यह नियम कोरोना महामारी के कारण लाया गया था?

हां, शुरुआत में यह सुविधा कोरोना महामारी के दौरान दी गई थी ताकि आर्थिक रूप से प्रभावित लोग राहत पा सकें। लेकिन अब इसे एक नियमित नीति के रूप में लागू किया गया है। (स्रोत: भारतीय रिज़र्व बैंक प्रेस रिलीज, 2024)

क्या यह नियम सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होता है?

हां, यह नियम सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होता है, चाहे वे किसी भी बैंक या NBFC से लोन ले रहे हों।


Spread the love

🙏नमस्कार दोस्तों! मैं मनोज वर्मा, जयपुर (राजस्थान) का निवासी हूं और फाइनेंस और एकाउंट्स विभाग में कार्यरत हूं। मैंने 8 साल तक टीचिंग का अनुभव लिया, जिससे गणित और विश्लेषणात्मक सोच में महारत हासिल की, जो अब वित्तीय क्षेत्र में उपयोगी हो रही है। फाइनेंस न केवल हमारे भविष्य को सुरक्षित करता है, बल्कि यह जीवन को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने की कला भी है। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आपके साथ रोजमर्रा की वित्तीय जानकारी साझा करूंगा, ताकि आपके आर्थिक निर्णय मजबूत और सुरक्षित हो सकें। आइए, मिलकर इस यात्रा को शुरू करें और एक वित्तीय रूप से समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं!

Leave a Comment