RBI का “नया CIBIL SCORE अपडेट नियम”: क्रेडिट कार्ड और लोन लेने-देन में होगा बड़ा बदलाव

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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने “नया CIBIL SCORE अपडेट नियम” को लेकर एक नया नियम लागू किया है, जिससे लोन लेने और देने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा।

क्रेडिट स्कोर जल्द अपडेट होने से बैंक और ग्राहक दोनों को फायदा होगा। आरबीआई ने इस बारे में 8 अगस्त को प्रस्ताव पेश किया है। इसमें कहा गया है कि क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों को क्रेडिट स्कोर के जल्द अपडेशन के लिए आपसी सहमति से कोई सिस्टम बनाना चाहिए

RBI
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  • आरबीआई के नए नियम के अनुसार, ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर हर 15 दिनों में अपडेट किया जाएगा।
  • यह नियम 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा।
  • आरबीआई ने कहा है कि बैंक और वित्तीय संस्थान जल्द से जल्द ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर अपडेट करें।
  • ग्राहकों का सिबिल स्कोर हर महीने की 15 तारीख और महीने के अंत में अपडेट किया जा सकता है।

🤔 क्या है नया सिबिल स्कोर अपडेट नियम ?

अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर हर 15 दिनों में अपडेट करना होगा। इसका उद्देश्य यह है कि बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) अपने ग्राहकों के बारे में सही क्रेडिट जानकारी प्राप्त कर सकें, जिससे वे बेहतर तरीके से तय कर सकें कि किसे लोन देना है और किसे नहीं।

🧐 किन लोगों पर होगा इसका प्रभाव ?

इस नियम का सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो समय पर लोन नहीं चुकाते हैं, EMI समय से नहीं भरते या लोन का सेटलमेंट करवाते हैं। उनके क्रेडिट स्कोर में गिरावट आ सकती है, जिससे उन्हें भविष्य में लोन प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।

🧐 कब-कब होगा डेटा अपडेट?

क्रेडिट स्कोर अब हर महीने की 15 तारीख और महीने के अंत में अपडेट किया जा सकता है। क्रेडिट संस्थान (CI) और क्रेडिट सूचना कंपनियां (CIC) अपने हिसाब से भी तारीखें तय कर सकती हैं ताकि हर 15 दिन में डेटा अपडेट हो सके।

🧐 इसका क्या फायदा होगा?

यह कदम बैंक और ग्राहक दोनों के लिए फायदेमंद होगा। सही क्रेडिट जानकारी मिलने से बैंक और NBFC सही ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे, जिससे अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को कम दर पर लोन मिल सकेगा। इससे डिफॉल्ट की संख्या में भी कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि किसी भी ग्राहक की गड़बड़ी जल्द ही सिबिल स्कोर में दिख जाएगी। इस नए नियम से क्रेडिट मार्केट में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे सभी पक्षों को लाभ होगा।


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